Tuesday, March 31, 2009

आत्मनिवेदन

हे अन्तर्यामिन! हे हृदयवासी भगवन्! हे दीनबन्धो! हे अनाथों के नाथ! हे पतितोद्धारक हमारे पापों को क्षमा कीजिये। हमारे उपर कृपा कीजिये। हे स्वामिन्! महाशान्ति को प्राप्त करने का सरलतम् मार्ग दर्शा दीजिये! हमारे ज्ञान-चक्षु खोल दीजिये! हमारे अन्धकारपूर्ण आध्यात्मिक-मार्ग को प्रकाशित कर दीजिये! हम मृत्युलोक-वासियों पर जो कि सांसारिक बोझ से दबे हैं, कृपा कीजिये जिससे हम लोगों के दुःखमय जीवन में सुख की ज्योति का प्रकाश प्रज्ज्वलित हो।हे सर्वव्यापी, सत्यरूप भगवन्! हमारे अंहकार, काम, व्रफोध, मद, मोह, लोभ और जड़ता का विनाश कीजिये। हमें शुद्ध कीजिये। हमारा जीर्णोद्धार कीजिये जिससे हमारा अन्तःकरण शुद्ध हो। हमें इतना बल और साम दीजिये जिससे हमें योगाभ्यास में सफलता प्राप्त हो सके और हम अपनी इन्द्रियों को वश में करके गुरु-वाक्य का निर्वाह करते हुए सत्य-मार्ग पर आरूढ़ हो जायें।

No comments:

Post a Comment